सोमवार, 27 जुलाई 2009

ऐ खुदा है करम तेरा

ये कहते हैं हमसे
हम जिंदगी हैं इनकी
प्यार सब करते हैं,पर
हम बंदगी हैं इनकी
ऐ खुदा है करम तेरा
मै ब्याहता हूँ उनकी
रहे हाथों में हाथ
ये ख़ुशी है इनकी
सदा चले हम साथ
यही चाहे हर घडी
ऐ खुदा है करम तेरा
मै ब्याहता हूँ उनकी
वो सारी बातें पढ़ले
जो रहे अनकही
बंद आँखों के सपने
न जाने कब देखी
ऐ खुदा है करम तेरा
मै ब्याहता हूँ उनकी
ऐ रब ये दुआ कुबूल कर
मेरे माथे की बिंदिया रहे चमकती
ऐ खुदा है करम तेरा
संगी ब्याहता है उनकी

रविवार, 26 जुलाई 2009

जब होते हैं नशे में

खुद को भी भूल जाते हैं
जब होते हैं नशे में
पर गम क्यूँ नहीं भूल पाते
जब होते हैं नशे में
जाम और भी भरे पड़े हैं मैखाने में
पर खली पैमाने भी लुभाते हैं
जब होते हैं नशे में
झूमते हुए जब निकलते हैं मैखाने से
सड़कों पर गिरे नज़र आते हैं
जब होते हैं नशे में
भूलने को दोस्ती की थी मैखाने से
वही बातें याद आती हैं
जब होते हैं नशे में
जिस दर्द को छिपाते हैं जमाने से
वही दर्द उभर आता है
जब होते हैं नशे में
आकर जहाँ में जीना ही भूल गए
जीयें भी तो कैसे जब
हर वक्त होते हैं नशे में
मौत भी आएगी एक दिन
जब होंगे नशे में

शनिवार, 25 जुलाई 2009

जानू ना गीत की भाषा

जानू ना गीत की भाषा
ना जानू संगीत क्या है होती
अनजान शायरी के लफ्जों से
मै भावनाओं को पिरोती
जो आये आँखों में आंसू
मै कोरे कागज पर रोती
जो होती हु मै खुश
तो मेरी कलम भी हंसती
अपने मन की उडानो को
मै कागज़ पर हु समेटती
जो होता है दर्द मुझे
तो बातें लिखती हु चुभती
जो देखती सपने हर पल
मै उन लम्हों को संजोती
जो रंग फूलों में है
कोशिश कर वो रंग हूँ भरती
मान आधार जीवन को इसका
जो दिल करता लिखती है संगी
अनजान शायरी के लफ्जो से
संगी भावनाओ को पिरोती


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