जानू ना गीत की भाषा
ना जानू संगीत क्या है होती
अनजान शायरी के लफ्जों से
मै भावनाओं को पिरोती
जो आये आँखों में आंसू
मै कोरे कागज पर रोती
जो होती हु मै खुश
तो मेरी कलम भी हंसती
अपने मन की उडानो को
मै कागज़ पर हु समेटती
जो होता है दर्द मुझे
तो बातें लिखती हु चुभती
जो देखती सपने हर पल
मै उन लम्हों को संजोती
जो रंग फूलों में है
कोशिश कर वो रंग हूँ भरती
मान आधार जीवन को इसका
जो दिल करता लिखती है संगी
अनजान शायरी के लफ्जो से
संगी भावनाओ को पिरोती

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