रविवार, 26 जुलाई 2009

जब होते हैं नशे में

खुद को भी भूल जाते हैं
जब होते हैं नशे में
पर गम क्यूँ नहीं भूल पाते
जब होते हैं नशे में
जाम और भी भरे पड़े हैं मैखाने में
पर खली पैमाने भी लुभाते हैं
जब होते हैं नशे में
झूमते हुए जब निकलते हैं मैखाने से
सड़कों पर गिरे नज़र आते हैं
जब होते हैं नशे में
भूलने को दोस्ती की थी मैखाने से
वही बातें याद आती हैं
जब होते हैं नशे में
जिस दर्द को छिपाते हैं जमाने से
वही दर्द उभर आता है
जब होते हैं नशे में
आकर जहाँ में जीना ही भूल गए
जीयें भी तो कैसे जब
हर वक्त होते हैं नशे में
मौत भी आएगी एक दिन
जब होंगे नशे में

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